धमनी में चूना फैक्ट्री से फैल रहा प्रदूषण, ग्रामीणों का स्वास्थ्य खतरे में

सरगांव। जनपद पंचायत पथरिया क्षेत्र के ग्राम पंचायत धमनी में संचालित चूना फैक्ट्री ग्रामीणों के लिए गंभीर समस्या बनती जा रही है। फैक्ट्री से लगातार निकल रहे धुआं और चूने के महीन धूलकण न केवल हवा को जहरीला बना रहे हैं, बल्कि गांव के बच्चों, बुजुर्गों और किसानों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल रहे हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि फैक्ट्री संचालक प्रदूषण नियंत्रण के नियमों की अनदेखी कर केवल उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।

ग्रामीणों की सेहत पर गहरा असर- ग्रामीणों का कहना है कि फैक्ट्री से उड़ने वाले चूने के महीन कण सांस के साथ शरीर में जा रहे हैं, जिससे खांसी, दमा, आंखों में जलन और त्वचा संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं। बच्चों को बार-बार बुखार और खांसी की शिकायत है, जबकि बुजुर्गों की तबीयत लगातार बिगड़ रही है। फसलों पर मोटी धूल जमने से खेतों की उर्वरकता भी घट रही है और उत्पादन पर सीधा असर पड़ रहा है। गांव के तालाब और कुएं का पानी भी प्रदूषित हो रहा है।

गांव के एक ग्रामीण रामलाल साहू ने बताया, “हम दिन-रात धूल और धुएं में सांस लेने को मजबूर हैं। कई बार शिकायत करने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।”


नियम और गाइडलाइन

पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 और वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत चूना फैक्ट्री चलाने के लिए छत्तीसगढ़ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CGPCB) से अनुमति (Consent to Establish एवं Consent to Operate) लेना अनिवार्य है।
फैक्ट्री को निम्न प्रावधानों का पालन करना होता है:

  • चिमनी में इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रीसिपिटेटर/डस्ट कलेक्टर या बैग फिल्टर की व्यवस्था।
  • धूल नियंत्रण के लिए नियमित पानी का छिड़काव
  • उत्पादन क्षेत्र में ग्रीन बेल्ट (हरियाली) का विकास
  • अपशिष्ट और अपद्रव्य का सुरक्षित निपटान

इन मानकों का पालन न करने पर बोर्ड के पास कार्रवाई का अधिकार है।


संभावित कार्रवाई

पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन पर जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड निम्न कार्रवाई कर सकते हैं:

  1. नोटिस और जुर्माना: प्रथम चरण में कारण बताओ नोटिस और पर्यावरण क्षति शुल्क लगाया जा सकता है।
  2. फैक्ट्री बंद करने का आदेश: लगातार नियम तोड़ने पर संचालन की अनुमति रद्द कर फैक्ट्री को अस्थायी या स्थायी रूप से बंद किया जा सकता है।
  3. फौजदारी मामला: पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम की धारा 15 के तहत छह साल तक की सजा और आर्थिक दंड का प्रावधान है।
  4. प्रशासनिक हस्तक्षेप: जिला कलेक्टर और एसडीएम तत्काल प्रभाव से प्रदूषण रोकने के लिए सीलिंग, मशीनरी जब्त करने या बिजली-पानी कनेक्शन काटने जैसे कदम उठा सकते हैं।

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और छत्तीसगढ़ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मांग की है कि तुरंत जांच कर फैक्ट्री पर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि गांव की सेहत और फसलें बचाई जा सकें।

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