सरपंच प्रतिनिधि सुनील साहू 5 सौ रू प्रति ट्रॉली के हिसाब से कर रहा वसूली…
सरगांव। मुंगेली जिले के सरगांव तहसील अंतर्गत ग्राम मदकुद्वीप स्थित शिवनाथ नदी में रेत माफिया का खुला आतंक जारी है। जानकारी के अनुसार प्रतिदिन दिन-रात सैकड़ों ट्रैक्टरों के माध्यम से अवैध रूप से रेत निकाली जा रही है, जिसे शासकीय भूमि पर डंप कर व्यापार किया जा रहा है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह कार्यवाही पूरी तरह संगठित ढंग से संचालित हो रही है, जिसमें कथित रूप से ग्राम पंचायत के सरपंच प्रतिनिधि सुनील साहू की संलिप्तता भी सामने आई है। आरोप है कि प्रत्येक ट्राली पर 5 सौ रुपए की दर से अवैध वसूली की जा रही है। यह राशि रसीद के बिना नकद में वसूली जा रही है, जिससे शासन को राजस्व की हानि हो रही है। सबसे गंभीर बात यह है कि खनिज विभाग की टीम को इस अवैध उत्खनन की जानकारी होने के बावजूद अब तक किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि विभागीय अधिकारियों की चुप्पी कहीं न कहीं मिलीभगत को दर्शाती है। हाल ही में सरगांव पुलिस द्वारा घाट पर पेट्रोलिंग के दौरान छापामार कार्रवाई की गई थी, लेकिन स्थानीय लोगों का दावा है कि मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने रेत माफियाओं से ‘समझौता राशि’ लेकर उन्हें छोड़ दिया। इससे प्रशासन की निष्क्रियता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है। ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल कठोर कार्रवाई की मांग की है ताकि शिवनाथ नदी की प्राकृतिक धारा और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखा जा सके। साथ ही शासन को राजस्व हानि से भी बचाया जा सके।
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सरपंच प्रतिनिधि द्वारा बिना रॉयल्टी पर्ची के 5 सौ की दर से की जा रही अवैध वसूली..
रेत उत्खनन की सूचना मिलने पर जब घटनास्थल पर जांच की गई तो घाट पर लगभग 15 ट्रैक्टर पर मजदूर रेत लोड करते हुए पाए गए। इस दौरान एक ट्रैक्टर चालक से बात की गई तो उसने बताया कि रेत निकालने के लिए गांव के सरपंच प्रतिनिधि सुनील साहू से संपर्क करना पड़ता है। वह हर ट्रॉली पर 500 रुपये रॉयल्टी वसूलते हैं, लेकिन कोई रॉयल्टी पर्ची नहीं देते। चाहे जितनी भी रेत निकाली जाए, हर ट्रॉली के लिए 500 रुपये देना अनिवार्य है। बताया गया कि रेत उत्खनन की जानकारी खनिज विभाग और सरगांव पुलिस को होने के बावजूद, विभाग की टीम जब भी जांच के लिए आती है तो मजदूर भाग जाते हैं। पकड़े जाने पर खनिज विभाग के अधिकारी चलानी कार्यवाही के नाम पर पैसा लेते हैं। वहीं, सरगांव पुलिस भी पेट्रोलिंग के दौरान जांच के लिए आती है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं करती और सरपंच प्रतिनिधि से खर्चा पानी लेकर चली जाती है।
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गांव वालो से हफ्ता 3 हजार एवं बाहरी लोगों से 5 सौ रुपए प्रति ट्रॉली की वसूली..
एक अन्य ट्रैक्टर चालक से पूछने पर उसने बताया की रेत खनन के मामले में सरपंच के प्रतिनिधि सुनील साहू रॉयल्टी के रूप में 500 रुपये प्रति ट्रैक्टर वसूल रहे हैं। बताया गया है कि सरपंच का एक व्यक्ति घाट में रहता है, जो रेत खनन के लिए अनुमति दिलवाने का काम करता है। वहीं, सुनील साहू भी बीच-बीच में घाट पर आकर पैसा लेता है। स्थानीय ट्रैक्टर चालकों से बातचीत में यह भी पता चला कि यदि कोई रेत निकालना चाहता है तो उसे ट्रैक्टर लेकर सीधे घाट जाना होगा और सरपंच के प्रतिनिधि से संपर्क कर 500 रुपये रॉयल्टी जमा करनी होगी। वहीं, स्थानीय ग्रामीण हफ्ते के हिसाब से लगभग 3,000 रुपये देते हैं, जबकि बाहरी लोगों से प्रति ट्रॉली 500 रुपये वसूले जा रहे हैं। एक ट्रैक्टर चालक ने बताया, “मनीष को वे पहचानते होंगे, उनसे बात कर लेना। वैसे अभी रेत का कोई ऑर्डर नहीं है, रेत को डंप करके रखा जा रहा है।
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अवैध रेत खनन पर कार्रवाई से पहले दबाव में झुक जाते हैं अधिकारी..
एक रेत खननकर्ता ने बताया कि जनप्रतिनिधियों की गाड़ियाँ रेत परिवहन में संलग्न हैं। लोगों ने कहा पुलिस जब घाट पर पहुँचती है, तो सरपंच द्वारा धनराशि दिए जाने के बाद बिना कोई कार्रवाई किए लौट जाती है। खनिज विभाग में शिकायत करने पर अधिकारी कहते हैं कि वे कार्रवाई के लिए आते हैं, लेकिन स्थानीय नेता किसी प्रभावशाली बड़े नेता से फोन करवा देता है। उस नेता के दबाव में अधिकारी कार्रवाई नहीं कर पाते। पिछली बार जब डंप की गई रेत पर चलानी कार्रवाई हुई थी, तब जनप्रतिनिधियों द्वारा पैसा वसूली कर खनिज विभाग को दिया गया। इसमें भी साठगाथ की बात सामने आई थी।
“जांच कराता हूं”
“टीम को मौके पर भेजकर जांच कराता हूं। रेत तस्करी में पुलिस और खनिज विभाग की संलिप्तता के सवाल पर उन्होंने कहा कि आपके माध्यम से जानकारी मिली है। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।”
– अजय शतरंज, एसडीएम
रेत खनन मामले में सरगांव थाना प्रभारी संतोष शर्मा का बयान..
“रेत खनन को लेकर पुलिस पर लगाए जा रहे आरोप निराधार और तथ्यहीन हैं। हम पूरी पारदर्शिता और कानून के दायरे में रहकर कार्यवाही कर रहे हैं। हमारे द्वारा उच्च अधिकारियों के दिशा-निर्देश पर लगातार कार्रवाई जारी है और आगे भी ऐसे अवैध कार्यों के विरुद्ध सख्त कदम उठाए जाएंगे। कानून का उल्लंघन करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।”
अवैध रेत खनन पर ग्रामीणों ने नए कलेक्टर से की बड़ी कार्रवाई की मांग
मुंगेली जिले में खनिज विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर ग्रामीणों में भारी नाराजगी है। सालों से पद पर जमे अधिकारियों की मनमानी और विभाग की निष्क्रियता के चलते अवैध रेत खनन तेजी से बढ़ता जा रहा है।
ग्रामीणों का आरोप है कि खनिज अधिकारी न तो फोन उठाते हैं, न ही शिकायतों पर कोई प्रतिक्रिया देते हैं। हाल ही में जिला खनिज अधिकारी ज्योति मिश्रा को 8827032392 पर कॉल किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। कुछ लोगों का दावा है कि अधिकारी शिकायतकर्ताओं के नंबर तक ब्लॉक कर देते हैं।
विभाग की ओर से कर्मचारियों की कमी का हवाला दिया जाता है, मगर ग्रामीणों का कहना है कि असली वजह लेनदेन और उच्चस्तरीय मिलीभगत है, जिसके कारण अवैध कारोबार को बढ़ावा मिल रहा है।
अब ग्रामीणों ने जिले के नए कलेक्टर कुंदन कुमार से अपील की है कि वे अवैध रेत खनन और खनिज के अन्य मामलों में संज्ञान लें और जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करें। ग्रामीणों को उम्मीद है कि नए कलेक्टर इस गंभीर मामले को नजरअंदाज नहीं करेंगे और पारदर्शी कार्रवाई करेंगे।
नदी से रेत निकालने पर कई तरह के पर्यावरणीय, सामाजिक और भौगोलिक नुकसान होते हैं। इसके मुख्य दुष्परिणाम निम्नलिखित हैं:
- नदी की प्राकृतिक धारा में बदलाव
रेत नदी की धाराओं को संतुलित रखने में मदद करती है। जब रेत निकाली जाती है, तो नदी की धारा तेज हो जाती है जिससे किनारों का कटाव बढ़ता है और बाढ़ का खतरा भी बढ़ता है।
- भूजल स्तर पर असर
रेत जल को सोखकर भूजल को रिचार्ज करने का कार्य करती है। रेत की अत्यधिक निकासी से जल संरक्षण बाधित होता है और भूजल स्तर नीचे चला जाता है।
- जैव विविधता को खतरा
नदी में रहने वाले जीव-जंतु जैसे मछलियाँ, केकड़े आदि रेत पर निर्भर होते हैं। रेत निकालने से उनका आवास नष्ट हो जाता है और जैव विविधता को खतरा होता है।
- नदी के किनारे की खेती पर असर
रेत निकालने से नदी के किनारे की जमीन अस्थिर हो जाती है और उसमें कटाव होने लगता है, जिससे खेती योग्य भूमि नष्ट हो जाती है।
- पुलों और तटबंधों को खतरा
रेत के हटने से पुलों की नींव कमजोर हो जाती है जिससे वे गिर सकते हैं। तटबंध भी कमजोर पड़ते हैं जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
- स्थानीय जीवन पर असर
स्थानीय लोग जो मछली पालन या नदी पर आधारित व्यवसाय करते हैं, उनकी आजीविका प्रभावित होती है।
निष्कर्ष: नदी से अनियंत्रित रेत निकालना पर्यावरण और मानव जीवन दोनों के लिए खतरे का कारण बनता है। इसलिए इसके लिए कानून और नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन जरूरी है।