सरगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बदहाल स्थिति को लेकर नगर पंचायत अध्यक्ष परमानंद साहू ने बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है। स्वास्थ्य केंद्र में महिला डॉक्टर की अनुपस्थिति, लापरवाही और मरीजों को लगातार रेफर किए जाने की समस्या को देखते हुए वे जल्द ही प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को लिखित में आवेदन सौंपेंगे। इस आवेदन में स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की जाएगी।
स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही, मरीजों की बढ़ रही परेशानी
सरगांव अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण गर्भवती महिलाओं सहित अन्य मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल में मात्र एक महिला चिकित्सक डॉ. शबाना परवीन कार्यरत हैं, लेकिन उनकी अनुपस्थिति के चलते महिलाओं को पुरुष डॉक्टरों से इलाज कराना पड़ता है, जिससे ग्रामीण महिलाएं असहज महसूस करती हैं। वहीं, सामान्य बीमारियों के मरीजों को भी बिना समुचित इलाज के रेफर कर दिया जाता है।
नगर पंचायत अध्यक्ष का बड़ा कदम
नगर पंचायत अध्यक्ष परमानंद साहू ने इस गंभीर मुद्दे पर कहा, “सरगांव अस्पताल की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। गर्भवती महिलाओं और आम मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा, जिससे उनकी जान पर खतरा मंडरा रहा है। हम जल्द ही प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को आवेदन देकर अस्पताल की अव्यवस्था में सुधार की मांग करेंगे।”
स्वास्थ्य मंत्री से यह मांग की जाएगी
परमानंद साहू द्वारा दिए जाने वाले आवेदन में निम्नलिखित मांगें प्रमुख रूप से होंगी:
- अस्पताल में कम से कम एक और महिला चिकित्सक की नियुक्ति ताकि गर्भवती महिलाओं और अन्य महिला मरीजों को समुचित इलाज मिल सके।
- डॉक्टरों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करना, ताकि रेफर सेंटर बनने की स्थिति समाप्त हो।
- अस्पताल में पर्याप्त चिकित्सा उपकरण और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- गर्भवती महिलाओं के लिए चल रहे शिविरों की निगरानी और उन्हें प्रभावी बनाना।
स्वास्थ्य विभाग की निष्क्रियता पर उठे सवाल
नगर पंचायत अध्यक्ष के इस कदम के बाद स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। यह पहली बार नहीं है जब सरगांव अस्पताल की बदहाल स्थिति को लेकर शिकायतें सामने आई हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
जनता को जल्द राहत मिलने की उम्मीद
परमानंद साहू का कहना है कि अगर स्वास्थ्य मंत्री द्वारा इस पर त्वरित कार्रवाई नहीं की गई तो वे आगे बड़े स्तर पर आंदोलन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। उनके इस कदम से स्थानीय जनता को जल्द राहत मिलने की उम्मीद की जा रही है। अब देखना होगा कि सरकार इस मामले में कितनी गंभीरता दिखाती है और कब तक इस समस्या का समाधान निकालती है।