सरगांव – ग्राम पंचायत धमनी में ग्राम विकास को लेकर एक नई जागरूकता की लहर देखने को मिल रही है। ग्राम की सरपंच श्रीमती रिंकी राज कौशिक व उपसरपंच श्री एजाज खान के नेतृत्व में धमनी के पंचगणों और ग्रामीणों ने कुसुम स्लैमटर्स प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री के प्रबंधन से सीधे संवाद स्थापित करते हुए मांग रखी कि कंपनी अपने कुल वार्षिक आय का कम से कम 2% हिस्सा कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) मद के अंतर्गत ग्राम विकास के कार्यों में व्यय करे। इस मांग को लेकर ग्राम धमनी के 150 से अधिक ग्रामीणों ने एकत्रित होकर संयमित, शांतिपूर्ण व संगठित तरीके से फैक्ट्री पहुँचकर अपनी बात रखी। जनप्रतिनिधियों के साथ गांव के बुजुर्ग, महिलाएं, युवक व विद्यार्थी भी बड़ी संख्या में मौजूद रहे। ग्रामीणों का कहना है कि फैक्ट्री ग्राम की ज़मीन, संसाधन, श्रमशक्ति व परिवेश का उपयोग कर रही है, परंतु ग्राम के विकास में उसका योगदान नगण्य है। यह स्थिति असंतुलन और असंतोष को जन्म देती है, जिसे दूर करने के लिए कंपनी को अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन ईमानदारी से करना चाहिए।

मांगों की सूची सौंपी गई- ग्रामीणों ने फैक्ट्री प्रबंधन को एक ज्ञापन सौंपा जिसमें मांग की गई कि:
- ग्राम के अंदर हाईमास्क लाइट लगाया जाए।
- प्राथमिक,माध्यमिक व हाईस्कूल धमनी के लिए विद्यालयों में स्मार्ट क्लास, फर्नीचर, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था सहित अन्य मांग
- ग्राम पंचायत स्थित वृक्षों व फसल की सुरक्षा के लिए तार जाली व खंभा स्थापना
- बेरोजगार युवाओं को रोजगार प्रशिक्षण एवं प्राथमिकता से कंपनी में नौकरी दी जाए।
जनप्रतिनिधियों की भूमिका..
सरपंच श्रीमती रिंकी राज कौशिक ने कहा कि “हम अपने ग्रामवासियों के साथ मिलकर कोई राजनीतिक नहीं बल्कि विकास की बात करने आए हैं। गांव की समृद्धि तभी होगी जब यहां के संसाधनों से लाभ कमाने वाली संस्थाएं भी अपना दायित्व निभाएं।”
वहीं उपसरपंच एजाज खान ने कहा, “CSR केवल कागजों की खानापूर्ति तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। वास्तविक रूप से जब तक ग्राम में रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं में सुधार नहीं होगा, तब तक हम संतुष्ट नहीं होंगे।”
ग्रामवासियों की एकजुटता प्रेरणादायक..
इस आंदोलन की खास बात यह रही कि यह पूरी तरह शांतिपूर्ण, अनुशासित और तथ्यों पर आधारित था। कोई भी नारेबाजी या विरोध नहीं किया गया बल्कि संवाद और समाधान के जरिए अपनी बात रखी गई। युवाओं ने बैनर, तख्तियां लेकर फैक्ट्री गेट पर सामाजिक चेतना का प्रदर्शन किया, वहीं महिलाओं ने भी अपनी उपस्थिति से यह साबित किया कि ग्राम विकास की भावना अब हर वर्ग में गहराई से व्याप्त हो चुकी है।
फैक्ट्री प्रबंधन ने सकारात्मक संकेत दिए..
कुसुम स्लैमटर्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधन प्रतिनिधियों ने ग्रामीणों की बातों को गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया कि वे कंपनी के उच्चाधिकारियों से चर्चा कर CSR मद में गांव के लिए योजनाएं तैयार करेंगे। उन्होंने कहा कि फैक्ट्री ग्राम के सहयोग से ही टिकाऊ विकास कर सकती है और ग्रामीणों की भावनाओं का सम्मान किया जाएगा।
प्रशासन और मीडिया की भूमिका अपेक्षित..
ग्रामीणों ने मांग की कि स्थानीय प्रशासन भी इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभाए और CSR के तहत ग्रामों को कैसे लाभ मिल रहा है, इसकी निगरानी सुनिश्चित की जाए। साथ ही मीडिया से भी अपेक्षा की गई कि वह ग्रामीण आवाज को सरकार और जनता तक पहुँचाने में सहयोग करे।
तहसीलदार सरगांव को सौंपा ज्ञापन..
धमनी व रामबोड पहुंच मार्ग अत्यधिक जर्जर और खतरनाक है जिससे ग्रामीणों को शिक्षा व स्वास्थ्य,राशन के लिए आनेजाने में भारी समस्याओ से गुजरना पड़ रहा है इसके लिए तहसीलदार सरगांव अतुल वैष्णव को ज्ञापन सौंपा गया है।
ज्ञापन देने वालो में राज कौंशिक,एजाज अली, परदेशी वर्मा,ओमप्रकाश कोशले,फिरोज खान, देवाशीष वर्मा,संजय टण्डन,खासियतउल्ला खान,हरदेव निषाद,रामकिशुन जायसवाल सहित सैकड़ों ग्रामवासी उपस्थित रहे।
CSR मद का मतलब होता है “कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी फंड” या “कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व मद”। यह एक विशेष कोष (फंड) होता है जिसे कंपनियाँ समाज के कल्याण और विकास के लिए खर्च करती हैं।
सरल शब्दों में समझिए:
भारत सरकार ने यह नियम बनाया है कि बड़ी कंपनियाँ अपने सालाना लाभ (Profit) का एक हिस्सा सामाजिक कार्यों में खर्च करें। इसी फंड को CSR मद कहा जाता है।
CSR फंड किन कार्यों में खर्च किया जाता है?
CSR मद से कंपनियाँ निम्नलिखित कार्यों में मदद कर सकती हैं:
- शिक्षा और स्कूलों का विकास
- स्वास्थ्य सेवाएँ (जैसे अस्पताल, टीकाकरण, दवाएं)
- पर्यावरण संरक्षण (जैसे वृक्षारोपण, स्वच्छता अभियान)
- गांवों का विकास
- महिलाओं और बच्चों के लिए योजनाएं
- जल संरक्षण, सौर ऊर्जा, साफ-सफाई से जुड़े कार्य
- गरीबों को सहायता देना या रोजगार देना
CSR नियम भारत में कब लागू हुआ?
भारत में CSR को कंपनी अधिनियम, 2013 (Companies Act, 2013) के तहत अनिवार्य किया गया है।
अगर कोई कंपनी:
- सालाना 5 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा मुनाफा कमाती है,
- या 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा टर्नओवर है, तो उसे अपने शुद्ध लाभ का 2% CSR कार्यों पर खर्च करना अनिवार्य होता है।
निष्कर्ष:
CSR मद एक सामाजिक विकास का फंड है, जिससे कंपनियाँ समाज, पर्यावरण और देश के विकास में योगदान देती हैं। यह कंपनियों की जिम्मेदारी का एक हिस्सा है।