दो निजी स्कूलों की जांच में उजागर हुई गंभीर अनियमितताएं, बिना मान्यता, अयोग्य शिक्षक, अवैध बिजली कनेक्शन और सुरक्षा मानकों की अनदेखी..

सरगांव
विकासखंड पथरिया के ग्राम सांवा में संचालित दो निजी विद्यालयों — महामाया विद्या मंदिर एवं एफ के आर पब्लिक स्कूल की स्थिति शिक्षा के नाम पर एक बेहद चिंताजनक तस्वीर पेश करती है। एसडीएम पथरिया अजय शतरंग के निर्देश पर 14 जुलाई को विकासखंड शिक्षा अधिकारी (BEO) की टीम ने इन विद्यालयों की जांच की, जिसमें कई चौंकाने वाली लापरवाहियां सामने आईं। इन दोनों विद्यालयों में न केवल शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 (RTE Act) का उल्लंघन किया जा रहा है, बल्कि छात्रों की सुरक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और आधारभूत सुविधाओं की घोर उपेक्षा भी सामने आई है।

बिना वैध मान्यता हो रहा संचालन

जांच में यह तथ्य सामने आया कि महामाया विद्या मंदिर की मान्यता प्रक्रिया वर्तमान में एसडीएम कार्यालय, पथरिया में लंबित है, जबकि एफ के आर पब्लिक स्कूल की मान्यता संबंधी फाइल जिला शिक्षा विभाग में अभी प्रक्रियाधीन है। इसके बावजूद दोनों ही विद्यालय नियमित रूप से कक्षाएं संचालित कर रहे हैं, जो स्पष्ट रूप से छ.ग. निजी विद्यालय मान्यता नियम 2007 का उल्लंघन है। किसी भी निजी विद्यालय को बिना वैध मान्यता संचालन की अनुमति नहीं है, लेकिन स्कूल प्रबंधन नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है।

अप्रशिक्षित एवं अयोग्य शिक्षक

शिक्षा की गुणवत्ता का सबसे अहम आधार योग्य और प्रशिक्षित शिक्षक होते हैं। परंतु जांच के दौरान महामाया विद्या मंदिर में पदस्थ 7 शिक्षकों में से किसी के पास भी शिक्षक प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र या शैक्षणिक योग्यता से संबंधित दस्तावेज नहीं पाए गए। एफ के आर पब्लिक स्कूल की स्थिति और भी चिंताजनक पाई गई, जहां सभी 5 महिला शिक्षिकाएं न केवल अप्रशिक्षित हैं, बल्कि उनके पास कोई वैध प्रमाण पत्र भी नहीं है। यह सीधा उल्लंघन है राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) के मानकों का, जो शिक्षकों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता निर्धारित करता है।

आधारभूत सुविधाओं का घोर अभाव

जांच रिपोर्ट के अनुसार महामाया विद्या मंदिर में अध्ययनरत 80 विद्यार्थियों के लिए न पुस्तकालय है, न प्रयोगशाला, और न ही खेल-कूद की कोई व्यवस्था। वहीं एफ के आर पब्लिक स्कूल में भी न पीने के पानी की समुचित व्यवस्था है, न शौचालय, और न ही प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध है। इन सभी सुविधाओं का होना RTE Act 2009 की धारा 19 के अनुसार अनिवार्य है।

सुरक्षा मानकों की खुलेआम अनदेखी

एफ के आर पब्लिक स्कूल में तो सुरक्षा की स्थिति और भी भयावह है। विद्यालय में चारदीवारी तक नहीं है, जिससे बाहरी व्यक्ति बिना रोक-टोक परिसर में प्रवेश कर सकते हैं। यह बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से गंभीर खतरा है। साथ ही भवन की हालत भी जर्जर पाई गई, जो आपदा की स्थिति में जानलेवा साबित हो सकती है।

अवैध विद्युत कनेक्शन — एक जानलेवा लापरवाही

एफ के आर पब्लिक स्कूल में बिजली आपूर्ति के लिए अवैध रूप से कनेक्शन लिया गया है। विद्युत तारों को बिना किसी सुरक्षा उपायों के खुले में लगाया गया है, जिससे छात्रों की जान जोखिम में है। यह विद्युत अधिनियम 2003 का स्पष्ट उल्लंघन है और विद्युत विभाग को इस पर तत्काल कार्यवाही करनी चाहिए।

ग्रामीणों की नाराजगी और प्रशासन से कार्रवाई की मांग

ग्रामवासियों ने इन अनियमितताओं पर तीखी नाराजगी जताते हुए कहा है कि इन स्कूलों में बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा के साथ मज़ाक किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि शिक्षा के नाम पर केवल व्यावसायिक लाभ कमाने वाले इन प्रबंधन संचालकों पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि इन विद्यालयों की मान्यता रद्द कर, छात्रों के लिए सुरक्षित और वैकल्पिक शिक्षा की व्यवस्था की जाए।

शिक्षा विभाग की लचर व्यवस्था पर भी उठे सवाल

स्थानीय ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाए हैं कि पथरिया विकासखंड में कई ऐसे निजी स्कूल हैं, जिनकी शिकायतें जनदर्शन से लेकर BEO कार्यालय तक की जा चुकी हैं, लेकिन विभाग द्वारा कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई। ग्रामीणों का आरोप है कि कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से स्कूल संचालक रिश्वत देकर मान्यता प्राप्त कर लेते हैं, और जांच होने पर दस्तावेजों में हेराफेरी कर लीपापोती कर दी जाती है।

अब सबकी नजर नए BEO की कार्रवाई पर

हाल ही में पथरिया विकासखंड में नए शिक्षा अधिकारी की डॉ प्रतिभा मंडलोई नियुक्ति हुई है। अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि क्या वे इन अनियमित स्कूलों पर कार्रवाई कर उदाहरण प्रस्तुत करेंगे, या पहले की तरह यह गंभीर मामला भी फाइलों में दबा दिया जाएगा।

“हमें भरोसा है कि कलेक्टर कुंदन कुमार साहब जिले में शिक्षा की बदहाल स्थिति को सुधारेंगे और भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे।”
ग्राम सांवा के एक वरिष्ठ नागरिक

अब देखना यह होगा कि क्या कलेक्टर कुंदन कुमार इन जन अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे, या फिर शिक्षा विभाग की पुरानी ढर्रे पर चलती व्यवस्था ही कायम रहेगी। लेकिन फिलहाल, लोगों को उनके नेतृत्व में सुधार की पूरी उम्मीद है।


यह मामला न केवल शिक्षा प्रणाली की गंभीर खामियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि यदि प्रशासन समय रहते नहीं चेता, तो बच्चों का भविष्य अंधकार में धकेला जा सकता है। शासन-प्रशासन को इस विषय में तत्काल और कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है।

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