अवैध क्लीनिक और झोलाछाप डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई जरूरी, प्रशासन की अनदेखी से ग्रामीण खतरे में..

सरगांव, 24 जुलाई 2025 |

पथरिया ब्लॉक अंतर्गत नगर पंचायत सरगांव और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में बिना पंजीकरण और बिना योग्य डिग्री के झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा अवैध क्लीनिक चलाए जा रहे हैं। ये फर्जी डॉक्टर ग्रामीणों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं और जिम्मेदार विभाग मौन है।

जांच के बिना इंजेक्शन, एंटीबायोटिक और स्टेरॉयड जैसी दवाएं मरीजों को दी जा रही हैं, जिससे कई बार स्थिति गंभीर हो जाती है और मरीजों को जिला अस्पताल या नर्सिंग होम रेफर करना पड़ता है। आरोप है कि ये क्लीनिक नकली या एक्सपायरी दवाओं का भी उपयोग करते हैं।

⚖️ नियम कानून क्या कहते हैं?

  1. क्लिनिक या मेडिकल स्टोर संचालन के लिए CMHO (Chief Medical and Health Officer) से अनुमति और पंजीयन अनिवार्य होता है।
  2. दवाएं बेचने और देने के लिए फार्मासिस्ट की डिग्री और D-Pharma/B-Pharma रजिस्ट्रेशन जरूरी है।
  3. भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम (IMC Act) 1956 और क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 के अनुसार बिना मान्यता प्राप्त डिग्री के इलाज करना अपराध की श्रेणी में आता है।
  4. दंड संहिता की धारा 420, 336, 304A के तहत, मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वालों पर आपराधिक मामला दर्ज किया जा सकता है।

❗ अब तक प्रशासन की सुस्ती

पहले भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया बबिल्हा एक्सप्रेस व प्रिंट मीडिया ने इस विषय को उठाया था। जवाब में वर्तमान bmo अनुज राम बंजारे ने 22 सितंबर को केवल एक क्लिनिक पर कार्रवाई कर और जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा क्लीनिक संचालकों से लेनदेन कर मामला को रफा-दफा कर दिया गया था। अब स्थिति और भी गंभीर हो चुकी है — 100 से अधिक अवैध क्लीनिक पथरिया क्षेत्र में सक्रिय हैं।


🗣️ ग्रामीणों की मांग

ग्रामीणों ने जिलाप्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से मांग की है कि:

  1. झोलाछाप डॉक्टरों पर एफआईआर दर्ज कर जेल भेजा जाए।
  2. बिना पंजीयन चल रहे क्लिनिक और मेडिकल स्टोर तत्काल सील किए जाएं।
  3. स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष जांच दल गठित कर नियमित निगरानी की जाए।
  4. जनजागरूकता अभियान चलाकर ग्रामीणों को सही और प्रमाणित डॉक्टरों की पहचान कराई जाए।

🗨️ BMO डॉ. अमित लाल का बयान

“मैंने हाल ही में चार्ज लिया है, मामले की गंभीरता को देखते हुए जल्द ही जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।”


🔍 निष्कर्ष

स्वास्थ्य एक संवेदनशील विषय है और इस पर किसी भी तरह की लापरवाही जनता की जान को सीधा खतरे में डालती है। अब समय आ गया है कि प्रशासन सख्त रुख अपनाए और दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई सुनिश्चित करे। वरना यह प्रशासनिक लापरवाही भविष्य में बड़ी जनहानि का कारण बन सकती है।

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