सरगांव। धान की बुआई के इस अहम मौसम में किसानों को यूरिया खाद की भारी किल्लत झेलनी पड़ रही है। हालात इतने बदतर हैं कि मंगलवार को बिल्हा सहकारी विपणन संस्था मर्यादित, सरगांव में सुबह से ही किसानों की लंबी कतारें लग गईं। पुरुष हो या महिला, सभी किसान तड़के अंधेरा रहते ही समिति पहुंच गए, लेकिन शाम तक लगातार बारिश में भीगते हुए भी बहुतों को खाद नहीं मिल सका। कई किसान निराश होकर खाली हाथ लौट गए।

किसानों ने आरोप लगाया कि शासन की लापरवाही और विभागीय अव्यवस्था ने उनकी मुश्किलें कई गुना बढ़ा दी हैं। समय पर पर्याप्त खाद उपलब्ध नहीं कराई जा रही, जबकि खुले बाजार में निजी व्यापारी खुलेआम कालाबाजारी कर रहे हैं। ऊंचे दाम पर यूरिया बेचने के साथ किसानों पर सप्लीमेंट्री दवाइयां और तरल जैव खाद खरीदने का दबाव बनाया जा रहा है। सेवा सहकारी समिति में यूरिया खाद 266.50 रुपये प्रति बोरी में दिया जा रहा है, लेकिन 233 रुपये की कीमत वाला तरल जैव खाद अनिवार्य रूप से लेने को मजबूर किया जा रहा है। किसान कहते हैं कि यह जैव खाद फिलहाल काम का नहीं है, फिर भी इसे खपाने के लिए दबाव डाला जा रहा है।
डीबीटी प्रक्रिया बनी सिरदर्द
किसानों की परेशानी बढ़ाने में आधार आधारित डीबीटी प्रक्रिया भी बड़ा कारण बन गई है। समिति में खाद लेने के लिए बायोमैट्रिक सत्यापन जरूरी है और एक आधार कार्ड पर अधिकतम दो बोरी खाद ही दी जा रही है। हर किसान का डीबीटी करने में समय ज्यादा लगने से कतारें लंबी हो रही हैं और किसानों को सुबह से शाम तक बारिश में खड़े रहना पड़ रहा है।
“फसल मुरझा रही, कोई सुनने वाला नहीं”
लाइन में खड़े किसान नंदलाल यादव ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा, “हम सुबह अंधेरा रहते ही लाइन में लग गए थे। दिनभर बारिश में भीगते रहे, मगर अब तक एक बोरी खाद नहीं मिली। खेत में धान की फसल मुरझाने लगी है, जैसे पौधे रो रहे हों कि हमें खाद चाहिए। खुले बाजार में ऊंचे दाम पर यूरिया बेचा जा रहा है और साथ में तरल जैव खाद भी खरीदने का दबाव है। हम गरीब किसान इतना पैसा कहां से लाएं? सरकार कहती है किसानों के लिए योजनाएं बना रही है, लेकिन जमीनी हकीकत देखिए। अगर समय पर खाद नहीं मिला तो हमारी पूरी मेहनत बर्बाद हो जाएगी। लगता है जैसे हमारी तकलीफ सुनने वाला कोई नहीं है। अगर हालात नहीं सुधरे तो हमें आंदोलन का सहारा लेना पड़ेगा।”
कांग्रेस का सरकार पर हमला
खाद संकट पर कांग्रेस ने भाजपा सरकार को घेरते हुए तीखा बयान दिया है। कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष (पिछड़ा वर्ग विभाग) दिलीप कौशिक ने कहा, “धान की बुवाई के इस नाजुक समय में किसान बारिश में भीगकर घंटों लाइन में खड़े हैं, फिर भी खाली हाथ लौट रहे हैं। यह भाजपा सरकार की नाकामी का खुला सबूत है। शासन-प्रशासन की मिलीभगत से कालाबाजारी हो रही है और किसानों को ऊंचे दाम पर खाद खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है।”

उन्होंने आगे कहा कि जब किसान परेशान हैं, तब स्थानीय भाजपा विधायक मौन साधे बैठे हैं। “भाजपा नेताओं के लिए किसान सिर्फ वोट बैंक हैं। उन्हें किसानों की तकलीफ से कोई मतलब नहीं। अगर क्षेत्र में कालाबाजारी पर रोक नहीं लगाई गई और पर्याप्त खाद उपलब्ध नहीं कराया गया तो कांग्रेस किसानों के साथ सड़क पर उतरकर आंदोलन करेगी।”
किसानों की चेतावनी – जल्द सुधार नहीं तो उग्र आंदोलन
किसानों ने साफ चेतावनी दी है कि यदि शासन-प्रशासन ने तत्काल पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध नहीं कराई और कालाबाजारी पर रोक लगाने के ठोस कदम नहीं उठाए तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। किसानों का कहना है कि धान की फसल को इस समय खाद की सबसे ज्यादा जरूरत है। देरी से खेतों की मेहनत और पूरी फसल चौपट हो सकती है।
सरगांव क्षेत्र में यूरिया खाद संकट अब सिर्फ किसानों की समस्या नहीं, बल्कि शासन-प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है। बारिश में भीगते, घंटों कतार में खड़े किसान इस बात का जीवंत सबूत हैं कि योजनाओं और जमीनी हकीकत में कितना बड़ा अंतर है।