गौरेला-पेंड्रा-मरवाही :- नगर पालिका पेंड्रा अंतर्गत एक अत्यंत गंभीर एवं संवेदनशील भूमि विवाद ने तूल पकड़ लिया है। यह मामला ना केवल सरकारी ज़मीन की अवैध रूप से बंदरबांट का संकेत देता है, बल्कि स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता को भी उजागर करता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार,न्याय पंचायत गुड़ी के लिए सुरक्षित शासकीय भूमि का फर्जीवाड़ा कर नामांतरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि इस जमीन को निजी संपत्ति दर्शाते हुए बाकायदा इश्तेहार प्रकाशित किए गए हैं, जिससे आम जन के बीच भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
भूमाफिया और दलाल सक्रिय — फर्जी दस्तावेज़ों का हो रहा दुरुपयोग
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि इस पूरे षड्यंत्र के पीछे एक संगठित भू-माफिया गिरोह काम कर रहा है। यह गिरोह तथाकथित प्रभावशाली लोगों के संरक्षण में फर्जी दस्तावेज़ तैयार कर,शासकीय भूमि को अपनी बताकर उसे कब्जाने की योजना बना रहा है। स्थानीय नागरिकों ने बताया कि यह भूमि वर्षों से न्याय पंचायत गुड़ी के लिए सुरक्षित रखी गई है,और यह शासकीय रिकॉर्ड में स्पष्ट दर्ज है। इसके बावजूद,कुछ दलालों द्वारा इस पर निजी दावा जताना और नामांतरण के लिए आवेदन करना न केवल गंभीर अपराध है,बल्कि सार्वजनिक हितों के साथ भी खिलवाड़ है।
प्रशासन की चुप्पी बनी चिंता का विषय
इस पूरे मामले में प्रशासन की रहस्यमयी चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। आम नागरिकों का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारियों को पूरे घटनाक्रम की जानकारी होते हुए भी अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इससे यह संदेह और गहराता जा रहा है कि कहीं न कहीं भीतरखाने मिलीभगत का खेल चल रहा है। क्षेत्र के नागरिकों में यह भय व्याप्त हो गया है कि यदि ऐसे मामलों पर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो शासन की अन्य जमीनें भी इसी प्रकार भूमाफियाओं के कब्जे में चली जाएंगी,जिससे जनहित के लिए सुरक्षित भूमि का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।
जनप्रतिनिधियों की भूमिका संदिग्ध
स्थानीय जनता का यह भी कहना है कि इस पूरे प्रकरण में कुछ जनप्रतिनिधियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। उनका कहना है कि जब जनता इस मामले को लेकर लगातार आवाज उठा रही है,तब जनप्रतिनिधियों की चुप्पी यह संकेत देती है कि या तो वे इस मुद्दे को जानबूझकर अनदेखा कर रहे हैं या फिर कहीं न कहीं इस साजिश में शामिल हैं।
जनता की एकजुटता और सख्त कार्रवाई की मांग
स्थानीय नागरिकों,सामाजिक कार्यकर्ताओं और जागरूक संगठनों ने इस मामले को लेकर आवाज़ बुलंद करनी शुरू कर दी है। उनका कहना है कि इस भूमि घोटाले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और जो भी इस फर्जीवाड़े में संलिप्त पाया जाए,उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए — चाहे वह दलाल हो,अधिकारी हो या जनप्रतिनिधि।
नगर पालिका प्रशासन की स्थिति स्पष्ट — भूमि पर नहीं होगा नामांतरण
इस मामले पर नगर पालिका पेंड्रा के मुख्य नगरपालिका अधिकारी (C.M.O.)ने स्पष्ट किया है कि, “जिस भूमि की बात की जा रही है, वह शासन के नाम पर दर्ज है और ऐसे में उसका नामांतरण नहीं किया जा सकता। नगर पालिका परिषद इस भूमि को अपने अधिकार में ही रखेगी और किसी भी अवैध प्रयास को सफल नहीं होने देगी।”
नगर पालिका उपाध्यक्ष शरद गुप्ता ने भी कहा,“2327/1 खसरा नंबर की 3300 वर्ग फीट भूमि को लेकर नामांतरण प्रस्ताव परिषद की बैठक में रखा जाएगा। यदि दस्तावेजों की जांच में यह भूमि नगर पालिका परिषद के नाम पर दर्ज पाई जाती है,तो नामांतरण की कोई संभावना नहीं होगी। परिषद के निर्णय के अनुसार ही उचित कार्रवाई की जाएगी।”
यह मामला सिर्फ एक जमीन के नामांतरण का नहीं,बल्कि शासन की ज़मीनों की सुरक्षा और पारदर्शिता के प्रति हमारी प्रशासनिक प्रतिबद्धता का भी है। अगर आज इस फर्जीवाड़े पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई,तो यह एक मिसाल बन जाएगी,जिससे प्रेरित होकर अन्य भू-माफिया भी सरकारी ज़मीनों पर नजरें गड़ाने लगेंगे। अब समय आ गया है कि प्रशासन, जनप्रतिनिधि और न्यायिक संस्थाएं मिलकर ऐसी कोशिशों को नाकाम करें और जनता के हित में ईमानदारी से कार्य करें।