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मदकू गांव के बलराम कुर्रे बने अग्निवीर, परिवार और गांव का बढ़ाया मान


सरगांव:
निकटवर्ती ग्राम मदकू के युवा बलराम कुर्रे ने भारतीय सेना में अग्निवीर (ट्रेड- जीडी) के रूप में चयनित होकर गांव और परिवार का नाम गौरवान्वित किया है। बलराम स्वर्गीय रतन कुर्रे और श्रीमती हिरमत के पुत्र हैं। कठिन आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद बलराम ने यह उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है।

बलराम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मदकू से पूरी की और वर्तमान में संत शिरोमणि गुरु रविदास शासकीय महाविद्यालय, सरगांव में बीएससी द्वितीय वर्ष के छात्र हैं। बलराम स्वयं राज्य स्तरीय नेटबॉल खिलाड़ी रहे हैं, जबकि उनके छोटे भाई कृष्णा कुर्रे ने राष्ट्रीय स्तर पर नेटबॉल में प्रतिभा का प्रदर्शन किया है।

बलराम का अग्निवीर चयन 21 अप्रैल 2024 को हुआ और वे अब भोपाल स्थित 3EME सेंटर में प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। बचपन से ही बलराम का सपना भारतीय सेना में सेवा करने का रहा है। इस सपने को साकार करने में उन्हें गांव के वीर सैनिकों, मां, खेल शिक्षक निर्मल जांगड़े, मित्र रवि व छवि सहित परिवार और ग्रामवासियों से प्रेरणा मिली।

परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है। बलराम की एक बहन के पैर के इलाज में परिवार ने करीब 1.30 लाख रुपये का कर्ज लिया है। मदकू द्वीप में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री माननीय अरुण साव ने भी इस मामले में अधिकारियों को सहयोग प्रदान करने के निर्देश दिए हैं।

बलराम ने बताया कि गांव के अन्य युवा भी अग्निवीर बनने की तैयारी कर रहे हैं, परंतु खराब स्कूल मैदान और संसाधनों की कमी के चलते उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। बलराम ने शासन से मदकू स्कूल के मैदान के सुधार और खेल संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की मांग की है, ताकि गांव के और भी युवा सेना में अपना भविष्य बना सकें।

बलराम की इस उपलब्धि पर श्री हरिहर क्षेत्र केदार द्वीप सेवा समिति मदकू के संत रामरूप दास महात्यागी, समिति अध्यक्ष जीवनलाल कौशिक, जनप्रतिनिधि मनीष साहू (जनपद सदस्य), श्रीमती बिमला साहू (सरपंच, ग्राम पंचायत मदकू) और श्रीमती पुष्पा घृतलहरे ने उन्हें सम्मानित कर शुभकामनाएं दीं।

उल्लेखनीय है कि सरगांव क्षेत्र के आसपास के ग्रामों के बड़ी संख्या में युवा अग्निवीर बनने का सपना देखते हैं, लेकिन उचित मार्गदर्शन, प्रशिक्षण सुविधाएं और खेल मैदानों की कमी के चलते उन्हें सफलता नहीं मिल पा रही है। यदि प्रशासन द्वारा प्रशिक्षण और आधारभूत ढांचे की व्यवस्था की जाए, तो यहां से बड़ी संख्या में युवा अग्निवीर एवं सशस्त्र बलों में चयनित हो सकते हैं।


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