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श्री हरिहर क्षेत्र ठेलकी द्वीप पर मंडराता संकट: अंधाधुंध पेड़ कटाई से अस्तित्व पर खतरा

सरगांव। जलवायु परिवर्तन, पानी के अत्यधिक दोहन और पर्यावरणीय असंतुलन के कारण सदानीरा के रूप में जानी जाने वाली शिवनाथ नदी मार्च महीने में ही सूख गई है। इस नदी के सूखने से क्षेत्र में जल संकट गहरा गया है और श्री हरिहर क्षेत्र ठेलकी द्वीप का अस्तित्व भी गंभीर खतरे में पड़ गया है।

शिवनाथ नदी अपने प्रवाह में विभाजित होकर दो प्रमुख द्वीपों – मदकू और ठेलकी – का निर्माण करती है। पहले ये दोनों द्वीप एक ही थे, लेकिन समय के साथ नदी की एक धारा ने इसे दो भागों में विभाजित कर दिया। ठेलकी द्वीप अपने समृद्ध वनस्पतियों और जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन हाल के वर्षों में यहां बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई ने इसे विनाश के कगार पर ला खड़ा किया है।

वनस्पतियों के नष्ट होने से बढ़ा खतरा

द्वीप में वरूण, सिरहुट, अकोल और पुत्र जीवा जैसे विशेष प्रजातियों के वृक्ष प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। ये वृक्ष न केवल पर्यावरणीय संतुलन में योगदान देते हैं, बल्कि शिवनाथ नदी की बाढ़ से द्वीप को बचाने में भी सहायक होते हैं। लेकिन लगातार हो रही अवैध कटाई से यह प्राकृतिक सुरक्षा कवच नष्ट होता जा रहा है। यदि यही स्थिति बनी रही, तो भविष्य में नदी की बाढ़ इस पूरे द्वीप क्षेत्र को बहा ले जाने में सक्षम होगी।

प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल

आश्चर्यजनक रूप से, इस गंभीर समस्या के बावजूद वन विभाग और राजस्व विभाग पूरी तरह से मौन हैं। उनकी निष्क्रियता से संदेह उत्पन्न होता है कि क्या इस अवैध कटाई में कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों का हाथ है? या फिर शासन-प्रशासन की लापरवाही इस विनाश को और बढ़ावा दे रही है?

एक ओर, सरकार द्वीप क्षेत्र के संरक्षण के लिए लाखों रुपये खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर, वन संरक्षण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। यदि ठेलकी द्वीप को बचाना है, तो पेड़ों की कटाई को तत्काल रोकना होगा और वन विभाग को इस दिशा में सख्त कदम उठाने होंगे।

समय रहते न उठाया कदम तो होगा बड़ा नुकसान

यदि जल्द ही इस समस्या की ओर ध्यान नहीं दिया गया, तो न केवल ठेलकी द्वीप का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा, बल्कि मदकू द्वीप भी इससे अछूता नहीं रहेगा। इसका सीधा असर पर्यावरणीय संतुलन पर पड़ेगा, जिससे क्षेत्र में जल संकट और भूमि कटाव जैसी समस्याएँ भी गहरा सकती हैं।

अतः, सरकार और प्रशासन को अविलंब इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए और आवश्यक नीतियाँ बनाकर ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि ठेलकी द्वीप को प्राकृतिक आपदाओं से बचाया जा सके।

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